आप मन बर ले के आए हन chhattisgarhi kahani . आप मन खाली समय म मोबाइल में कुछ न कुछ पढ़त हो ओहि मोबाइल म छत्तीसगढ़ी कहानी के मजा सकत हौ। कहानी में प्रेणा घलो मिलथे।
छत्तीसगढ़ी कहानी-मिट्ठू अउ कोलिहा। chhattisgarhi kahani-mitthu au koliha 2022-23
ये कहानी ला ख़तम होवत ले पढ़ो तभी समझ आहि अउ अच्छा लगही अच्छा लगही ता शेयर घलो करहु।
चलो ता फिर ले chhattisgarhi kahani (छत्तीसगढ़ी कहानी ) के मजा।
मिट्ठू अउ कोलिहा chhattisgarhi kahani
बहुत पुराना बात हरे। एक टन मिठू ह नदिया के तीर के जाम रुक में राहये,कुछ दिन के बाद म वहि करा रुख तीर कोलिहा ह छवो म बईठ गे. मिठू ह कोलिहा ल पूछिस,कहा ले आ थस कोलिहा थके थके दिखत हस। ता कोलिहा ह कहिथे,जंगल म आग लग जिस हे त सब ला छोड़ के भागत ले हो गए हे. अब मै कहा जाहु कोई पहचान के घलो नई है।
ये chhattisgarhi kahani में आगे,कोलिहा के बात ला सुन के कोलिहा बर मिट्ठू ल दया आ गिस.मिट्ठू ह कहते,ते ज़्यदा चिंता मत क्र मोरो कोन्हो नै हे। आज ले तय अउ मई दोनों संगवारी बन के रबो। कोलिहा है मिट्ठू के बात ला मान जाथे। अब दुनो झक संगी बनके रहे बर लगेथे।
कुछ दिन बीतते। अब कोलिहा ह वही के रहिया बन जाथे,अउ एकदम अकड़ के बयहर करे बार लग जाते।एक दिन दुनो संगवारी मन ठन जाहते।मिट्ठू है कोल्हिअ ला कहिथे आज सरत लगथन तय मोला जयसे करे ला काबे उसने करहु अउ मै जइसे करे का कहु ओसने करे ला पड़ही। तय मोर बर एस आराम के जुगाड़ कर. मै ह तोर बर जोगआड करहु। मिट्ठू ह कोलिहा ला कहिथे म घला तोर ले कम नि हो,तोर सरत मोला मंजूर हे।
फेर आगे chhattisgarhi kahani कोलिहा ह मिट्ठू ला पूछते,बता तोला का चाही?मिट्ठू ह कोलिहा ला किहेथे मोला पेट भर दाना खाना चाही।कोलिहा ह मिट्ठू ला जोवार के खेत म ले जाथे अउ ओला पेट भर दाना खाना खवाथे।कोलिहा मिट्ठू ला अउ पूछते बता टोला अउ का चाही? मिट्ठू ह कहिथे अब मोला अउर कुछ नई चाहिए।
अब मिट्ठू कोलिहा ला पूछते, बता अब तोला का चाही?कोलिहा ह मिट्ठू ल नीच दिखाए बर चाहत रहिस। एकर सेती कोलिहा कथे, पहिली तय मोर बर खाये बर कोकरी लान। मिट्ठू मिट्ठू कोनो कोती ले कोकरी जोगाड़ करके लानथे।
कोलिहा पेट भर खाये के बाद सो जाथे। थोरकिन देर बाद उठते,फेर उठे के बाद मिट्ठू ला कथे,अब मोला हसना ह तय मोला हँसा के बता तो। मिट्ठू ला कुछु समझ में नई आईस,कोलिहा ला हसए के कोसिस करथे तले ओला हसी नई अये।
ओहि मेर ले गुरु अउ चेला जावत रहिथे।चेला के कनिया तक चुंदी रथे अउ गुरु ह मुंडा रहिथे। मिट्ठू ह गुरु के मुंडी माँ जा के फड़फड़यए ला लागथे।गुरु ह अपन चेला ला कहिथे चेला मिट्ठू ला एक चिमटा मर तो मोर मुड़ी मुड़ी म ऊड़त ह। चेला ह मिट्ठू ला चिमटा मा मारथे। मिट्ठू ओड जाथे गुरु के मुड़ी ला फट ले परथे। गुरु ह मरगवे करके मुड़ी ल धरके बैठ जाथे।
कोलिहा ह जोर जोर के हस डारथे। मिट्ठू ह दो तीन बार उसने करते। चेला है बार बार गुरु के मुड़ी ला मारते अउ गुरु ह हर बार मुड़ी ला धार के बइठे जाथे। कोलिहा जोर जोर के हसे ला लागथे।( chhattisgarhi kahani )